11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चिंता में मदर मिल्क बैंक, अमृत न हो जाए खराब

जनाना अस्पताल में मदर मिल्क बैंक इन दिनों चिंता में है कि यदि नवजात के लिए दान में मिलने वाले दूध की मात्रा और बढ़ी तो उसे सहेजेंगे कैसे? दरअसल, नवजात के लिए इस सबसे पौष्टिक दूध को रखने के लिए फ्रीजर की कमी महसूस होने लगी है।

2 min read
Google source verification

जनाना अस्पताल में मदर मिल्क बैंक इन दिनों चिंता में है कि यदि नवजात के लिए दान में मिलने वाले दूध की मात्रा और बढ़ी तो उसे सहेजेंगे कैसे? दरअसल, नवजात के लिए इस सबसे पौष्टिक दूध को रखने के लिए फ्रीजर की कमी महसूस होने लगी है।

अब भरतपुर में भी मां और उनके शिशुओं के लिए यह दूध वरदान साबित हो रहा है। सैकड़ों मां अपना दूध दान कर रही हैं। मिल्क बैंक को खुले चंद महीने ही हुए हैं, लेकिन महिलाओं में दूधदान जज्बा इस कदर है कि स्टॉक क्षमता से ऊपर पहुंच रहा है।

पहले किया दूध का स्टॉक

अस्पताल में एक सितम्बर 2016 को मदर मिल्क बैंक की स्थापना की गई थी। जिसका उद्देश्य दूध से वंचित शिशुओं को पौष्टिकता पूर्ण दूध उपलब्ध कराकर बढ़ रही मृत्यु दर को कम किया जा सके। मिल्क बैंक की शुरुआत से 13 नवम्बर तक महिलाओं की ब्रेस्ट फीडिंग से दूध का स्टॉक किया गया। बाल दिवस पर 14 नवम्बर से दूध पिलाना प्रारम्भ कर दिया गया।

1191 यूनिट दूध स्टॉक में

मिल्क बैंक की शुरुआत से अब तक 658 महिलाओं ने दूधदान के लिए रजिस्टे्रेशन कराया है। यह महिलाएं अब तक 1128 बार 102795 एमएल दूध दान कर चुकी हैं। इसमें से 1930 यूनिट दूध 378 शिशुओं को दिया जा चुका है। वर्तमान में 30-30 एमएल की 1191 यूनिट दूध फ्रीजर में रखा हुआ है।

बच रहे दूध के खराब होने का खतरा

दूध को सुरक्षित रखने के लिए माइनस 20 डिग्री तापमान पर दो फ्रीजरों में रख गया है। लेकिन, एक फ्रीजर की क्षमता करीब 600 यूनिट दूध रखने की ही है। जबकि बैंक में 1191 यूनिट का स्टॉक दूध वितरण प्रक्रिया के बाद भी बचा हुआ है। अब यदि कोई मां दूध दान करती है तो इससे दूध की यूनिट बढऩे और उसे रखने की सुविधा कम पडऩे का संकट है। इस कारण स्टाफ को दूध के खराब होने का खतरा भी सता रहा है।

व्यवस्था करना अनिवार्य

बढ़े हुए स्टॉक को उस स्थिति में वितरित करने के आदेश हैं, जब शहर में निजी अस्पताल में नवजात भर्ती (एसएनसीयू) वार्ड हो और वहां भर्ती प्रसूताएं यहां आए। तब ही दूध दिया जा सकता है। फिलहाल, जनाना अस्पताल के वार्ड में भर्ती शिशुओं को दूध दिया जा रहा है। वहीं दानदाता माताएं काफी हैं, जिससे दूध की सुरक्षित व्यवस्था करना अनिवार्य है।

ये भी पढ़ें

image

बड़ी खबरें

View All

गाज़ियाबाद

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग